Old Pension Scheme Update: हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने का फैसला लिया है, जिससे राज्य के लाखों कर्मचारियों को फायदा होगा। सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए यह कदम उठाया है। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में विस्तार से।
पुरानी पेंशन योजना का विस्तार
हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुरानी पेंशन योजना का दायरा बढ़ाते हुए ऐसे कर्मचारियों को भी इसके अंतर्गत लाने का फैसला लिया है, जो अब तक इस योजना के लाभ से वंचित थे। सरकार के इस निर्णय से बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। इसके अलावा, हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचआरटीसी) के कर्मचारियों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
यह फैसला उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे थे। पुरानी पेंशन योजना के तहत, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है, जबकि नई पेंशन योजना में यह लाभ नहीं है।
विधानसभा में हुई चर्चा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में विधायक सतपाल सिंह ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर सवाल उठाया था। इस सवाल का जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले ओपीएस की बहाली का वादा किया था और सत्ता में आते ही इस वादे को पूरा किया।
उन्होंने बताया कि राज्य के 117,521 कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना को चुना है, जबकि मात्र 1,356 कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) के साथ रहने का विकल्प चुना है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि अधिकांश कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को ही पसंद करते हैं।
एनपीएस में जमा राशि की वापसी
अग्निहोत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के पास नई पेंशन योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों की 9,242 करोड़ रुपये की राशि जमा है। इसमें से लगभग 5,000 करोड़ रुपये राज्य सरकार का हिस्सा है, जिसे वापस लेने की मांग की जा रही है।
उन्होंने विपक्ष से अपील की है कि वे भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें और हिमाचल प्रदेश का पैसा वापस लाने के लिए समर्थन दें। उन्होंने कहा कि जब यह राशि राज्य कोष में वापस आएगी, तब इसका उपयोग कर्मचारियों को पेंशन के रूप में लाभ देने के लिए किया जा सकेगा।
पुरानी पेंशन योजना का महत्व
पुरानी पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना के तहत, कर्मचारियों को अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है और महंगाई भत्ते में वृद्धि के साथ पेंशन भी बढ़ती है।
नई पेंशन योजना, जिसे 2004 से लागू किया गया था, में कर्मचारियों के वेतन से कटौती करके और सरकार के योगदान से एक फंड बनाया जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद, इस फंड से कर्मचारियों को पेंशन मिलती है, जो बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है और निश्चित नहीं होती।
देश के अन्य राज्यों में पुरानी पेंशन योजना की मांग
हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है जिसने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है। इसके अलावा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों ने भी इस योजना को फिर से शुरू करने की घोषणा की है।
देश भर के सरकारी कर्मचारी, साथ ही केंद्रीय कर्मचारी भी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं। कई कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार भी इस मामले पर जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
हिमाचल प्रदेश सरकार का पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का फैसला राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इस फैसले से न केवल मौजूदा कर्मचारियों को लाभ होगा, बल्कि भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को भी आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है और उन्हें भी अपने कर्मचारियों के लिए इसी तरह के फैसले लेने के लिए प्रेरित कर सकता है। कर्मचारियों की मांग है कि केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर सकारात्मक फैसला लेकर पूरे देश में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करे।
अस्वीकरण: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। निर्णय लेने से पहले सरकारी दिशानिर्देशों और संबंधित अधिकारियों से पुष्टि कर लें।