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RBI की ओर से लोन लेने वालों के लिए बड़ी राहत, 1 अप्रेल से नए नियम होंगे लागू Big relief for borrowers from RBI

Big relief for borrowers from RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल) यानी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दिए जाने वाले कर्ज से संबंधित नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए नियम 1 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे। इस कदम का मुख्य उद्देश्य छोटे कर्जदारों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है। आरबीआई द्वारा जारी नई गाइडलाइंस के अनुसार, बैंक अब 50,000 रुपए तक के लोन पर कोई सेवा शुल्क या निरीक्षण शुल्क नहीं लगा सकेंगे। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना बढ़ जाएगी और उन्हें अतिरिक्त शुल्क के बोझ से मुक्ति मिलेगी।

प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग का मतलब और महत्व

प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों को अपने कुल कर्ज का एक निश्चित प्रतिशत कुछ विशेष क्षेत्रों को देने के लिए निर्देशित करता है। ये क्षेत्र देश के आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसमें कृषि, छोटे व्यवसाय, शिक्षा, आवास और कमजोर वर्गों के लिए कर्ज शामिल हैं। जोखिम और कम मुनाफे के कारण बैंक आमतौर पर इन क्षेत्रों में कर्ज देने से हिचकते हैं। इसलिए आरबीआई ने इस नीति के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे किसान, छोटे उद्यमी और कम आय वाले परिवारों को भी सस्ती दरों पर कर्ज मिल सके।

होम लोन के लिए बढ़ाई गई सीमा

नए नियमों में आरबीआई ने आवास क्षेत्र के लिए दिए जाने वाले कर्ज की सीमा में वृद्धि की है। अब बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को घर खरीदने के लिए अधिक राशि का लोन मिल सकेगा। नई व्यवस्था के अनुसार, आवासीय क्षेत्र के कर्ज को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में 50 लाख या इससे अधिक आबादी वाले शहरों में अब 50 लाख रुपए तक का होम लोन पीएसएल के अंतर्गत दिया जाएगा, जबकि पहले यह सीमा 35 लाख रुपए थी। हालांकि, इसके लिए मकान की कीमत 63 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए, जो पहले 45 लाख रुपए निर्धारित थी।

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मध्यम और छोटे शहरों के लिए नई कर्ज सीमा

मध्यम और छोटे शहरों के लिए भी होम लोन की सीमा में बदलाव किया गया है। जिन शहरों की आबादी 10 लाख या उससे अधिक है (लेकिन 50 लाख से कम है), वहां के निवासियों को अब 45 लाख रुपए तक का होम लोन मिल सकेगा। वहीं, 10 लाख से कम आबादी वाले छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 35 लाख रुपए तक का घर खरीदने का लोन दिया जाएगा। इसके अलावा, व्यक्तिगत परिवारों को दिए जाने वाले कर्ज की अधिकतम सीमा प्रति उधारकर्ता 10 लाख रुपए निर्धारित की गई है। इन बदलावों से अब अधिक से अधिक लोग अपने सपनों का घर खरीद सकेंगे।

सोने पर लोन की स्थिति

नए दिशा-निर्देशों में आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से खरीदे गए सोने के आभूषणों के बदले दिए गए ऋणों को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। यानी बैंक ऐसे कर्जों को अपने पीएसएल लक्ष्यों के हिस्से के रूप में नहीं गिन सकते। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिकता क्षेत्र के लिए आवंटित धन वास्तव में जरूरतमंद क्षेत्रों जैसे छोटे व्यवसाय, कृषि और समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंचे, न कि सिर्फ सोने के कारोबार में लगे।

बैंकों की रिपोर्टिंग व्यवस्था में बदलाव

आरबीआई के नए नियमों के अनुसार, बैंकों को अब प्राथमिकता क्षेत्र के कर्जों से संबंधित विस्तृत जानकारी तिमाही और वार्षिक आधार पर देनी होगी। इससे पीएसएल लक्ष्यों के अनुपालन की निगरानी बेहतर तरीके से हो सकेगी। इस नई रिपोर्टिंग व्यवस्था से यह भी सुनिश्चित होगा कि बैंक अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करें और समाज के वंचित वर्गों तक कर्ज की पहुंच बढ़े। साथ ही, इससे आरबीआई को यह भी पता चलेगा कि किस क्षेत्र में और कितना कर्ज दिया जा रहा है, जिससे भविष्य में नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

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छोटे कर्जदारों को मिलेगा लाभ

आरबीआई के इस कदम से सबसे अधिक लाभ छोटे कर्जदारों को मिलेगा। 50,000 रुपए तक के लोन पर सेवा शुल्क या निरीक्षण शुल्क न लगने से उन्हें अतिरिक्त वित्तीय बोझ से राहत मिलेगी। यह व्यवस्था विशेष रूप से किसानों, छोटे व्यापारियों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद होगी, जो अक्सर छोटी राशियों का कर्ज लेते हैं। इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और अधिक से अधिक लोग औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था का हिस्सा बन सकेंगे।

नए नियमों का समग्र प्रभाव

आरबीआई द्वारा लाए गए ये नए नियम भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। इससे आवास क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि अब अधिक लोग होम लोन ले सकेंगे। छोटे कर्जदारों को अतिरिक्त शुल्क से राहत मिलेगी, जिससे वे अपने व्यवसायों को बढ़ाने और आर्थिक विकास में योगदान दे सकेंगे। साथ ही, बैंकों पर अतिरिक्त रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी से यह सुनिश्चित होगा कि पीएसएल के लक्ष्य समय पर पूरे हों और कमजोर वर्गों तक कर्ज की पहुंच बढ़े।

आरबीआई के नए लोन नियम भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव लाएंगे। ये नियम न केवल छोटे कर्जदारों के हितों की रक्षा करेंगे, बल्कि आवास क्षेत्र को भी बढ़ावा देंगे। होम लोन की बढ़ी हुई सीमा से अधिक लोग अपना घर खरीद सकेंगे, जबकि छोटे कर्जदारों को अतिरिक्त शुल्क से राहत मिलेगी। इन नियमों से यह भी सुनिश्चित होगा कि प्राथमिकता क्षेत्र के लिए आवंटित धन वास्तव में जरूरतमंद क्षेत्रों तक पहुंचे। आरबीआई का यह कदम समावेशी विकास और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

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अस्वीकरण: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कर्ज लेने से पहले बैंक के नवीनतम नियमों और शर्तों की जांच करें। इसके अतिरिक्त, प्राथमिकता क्षेत्र के कर्ज से संबंधित नियम समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए सदैव आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट से अद्यतन जानकारी प्राप्त करें।

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