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RBI का बड़ा फैसला 1 अप्रैल से ATM से पैसे निकालना होगा महंगा जाने पूरी खबर Big decision of RBI

Big decision of RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिससे आम नागरिकों को सीधा प्रभाव पड़ेगा। आरबीआई ने एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि करने का फैसला किया है, जो 1 मई 2025 से लागू होगा। इस निर्णय के बाद एटीएम से पैसा निकालना अब और महंगा हो जाएगा, खासकर जब आप अपने बैंक के अलावा किसी अन्य बैंक के एटीएम का उपयोग करेंगे। यह कदम डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने और कैश लेनदेन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

एटीएम इंटरचेंज फीस क्या होती है?

एटीएम इंटरचेंज फीस वह शुल्क है जो एक बैंक दूसरे बैंक के एटीएम का उपयोग करने पर देता है। जब आप अपने बैंक के अलावा किसी अन्य बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो आपका बैंक उस एटीएम के मालिक बैंक को एक निश्चित शुल्क देता है। यह शुल्क आमतौर पर ग्राहकों पर पास किया जाता है, जिसके कारण आपको अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। सरल शब्दों में, यह एक प्रकार का सेवा शुल्क है जो बैंकों के बीच लेनदेन को सुगम बनाता है।

नई दरें क्या होंगी?

आरबीआई के नए निर्णय के अनुसार, 1 मई 2025 से एटीएम इंटरचेंज फीस में निम्नलिखित बदलाव होंगे। कैश विड्रॉल (नकद निकासी) के लिए इंटरचेंज फीस 17 रुपये से बढ़कर 19 रुपये प्रति लेनदेन हो जाएगी। इसी तरह, नॉन-कैश ट्रांजैक्शन (गैर-नकद लेनदेन) जैसे बैलेंस इंक्वायरी, मिनी स्टेटमेंट आदि के लिए फीस 6 रुपये से बढ़कर 7 रुपये प्रति लेनदेन हो जाएगी। यह वृद्धि सीधे तौर पर उन ग्राहकों को प्रभावित करेगी जो अपने फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा पार कर चुके हैं और अन्य बैंकों के एटीएम का उपयोग करते हैं।

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मुफ्त लेनदेन की सीमा

वर्तमान नियमों के अनुसार, ग्राहकों को प्रति माह कुछ मुफ्त एटीएम लेनदेन की सुविधा मिलती है। मेट्रो शहरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद) में ग्राहकों को अपने बैंक के अलावा अन्य बैंकों के एटीएम से महीने में 5 मुफ्त लेनदेन की अनुमति है। गैर-मेट्रो शहरों में यह सीमा 3 मुफ्त लेनदेन प्रति माह है। इस सीमा के बाद, ग्राहकों को प्रत्येक लेनदेन के लिए शुल्क देना पड़ता है, जो अब और बढ़ जाएगा।

फीस वृद्धि के पीछे कारण

एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स की बढ़ती ऑपरेशनल लागत है। व्हाइट लेबल एटीएम वे एटीएम हैं जो बैंकों के बजाय तीसरे पक्ष के ऑपरेटर्स द्वारा संचालित किए जाते हैं। इन ऑपरेटर्स ने लंबे समय से फीस बढ़ाने की मांग की थी, क्योंकि उनकी परिचालन लागत, जैसे कि कैश मैनेजमेंट, सुरक्षा, मेंटेनेंस और बिजली की लागत में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के प्रस्ताव के आधार पर आरबीआई ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है।

किन ग्राहकों पर पड़ेगा ज्यादा प्रभाव?

एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो नियमित रूप से अन्य बैंकों के एटीएम का उपयोग करते हैं। इनमें छोटे बैंकों के ग्राहक विशेष रूप से प्रभावित होंगे, क्योंकि ये बैंक अपना व्यापक एटीएम नेटवर्क नहीं रखते और उनके ग्राहकों को अक्सर अन्य बैंकों के एटीएम पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के ग्राहक, जहां एटीएम की संख्या सीमित है, भी इस वृद्धि से प्रभावित होंगे।

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डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा

आरबीआई द्वारा एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि का एक प्रमुख उद्देश्य डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना भी है। कैश लेनदेन को महंगा बनाकर, सरकार और आरबीआई यह उम्मीद करते हैं कि अधिक से अधिक लोग डिजिटल भुगतान विकल्पों जैसे यूपीआई, नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग आदि का उपयोग करेंगे। यह डिजिटल इंडिया अभियान के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य भारत को एक कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना है।

ग्राहकों के लिए व्यावहारिक सुझाव

इस वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए, ग्राहकों को अपनी बैंकिंग आदतों में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। सबसे पहले, जहां संभव हो, अपने होम बैंक के एटीएम का ही उपयोग करें। इससे आप अतिरिक्त शुल्क से बच सकते हैं। दूसरा, अपने मासिक मुफ्त लेनदेन की सीमा का ध्यान रखें और उसका अधिकतम उपयोग करें। तीसरा, छोटी-छोटी राशि निकालने के बजाय, एक बार में बड़ी राशि निकालें। इससे आपके एटीएम लेनदेन की संख्या कम होगी।

डिजिटल विकल्पों का उपयोग करें

आज के डिजिटल युग में, एटीएम से पैसे निकालने के अलावा भी कई विकल्प उपलब्ध हैं। यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करके, आप बिना एटीएम जाए अपने भुगतान कर सकते हैं। इसी तरह, नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से भी आप अपने बैंकिंग लेनदेन आसानी से कर सकते हैं। कैशबैक और अन्य प्रोत्साहनों के माध्यम से ये डिजिटल प्लेटफॉर्म अक्सर अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करते हैं, जिससे आपको पैसों की बचत हो सकती है।

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आरबीआई द्वारा एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि निश्चित रूप से ग्राहकों के लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो नकद लेनदेन पर अधिक निर्भर हैं। हालांकि, यह कदम डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने और भारत को एक कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के बड़े लक्ष्य का हिस्सा है। ग्राहकों के लिए यह एक अच्छा समय है कि वे डिजिटल भुगतान विकल्पों के बारे में अधिक जानें और उनका उपयोग शुरू करें। अंततः, यह बदलाव भारतीय बैंकिंग प्रणाली के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अस्वीकरण

इस लेख में दी गई जानकारी 1 मई 2025 से लागू होने वाली एटीएम इंटरचेंज फीस वृद्धि के आधार पर है। नियमों में कोई भी बदलाव या अपडेट के लिए कृपया अपने बैंक या आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी प्राप्त करें। यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। सभी लेनदेन से पहले अपने बैंक से संपर्क करें।

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